मैं उड़ता परिंदा आसमान का- उड़ाते पक्षी पर हिंदी कविता ! Pakshiyon Par hindi Kavita
मैं उड़ता परिंदा आसमान का- उड़ाते पक्षी पर हिंदी कविता ! Pakshiyon Par hindi Kavita
मैं उड़ता परिंदा आसमान का
मुझको ना डर कोई तूफान का.अपनी फितरत मजहबों से दूर,
किस्सा ना कोई वेद पुराण का।
कहीं सजदे न हो हमारी नजर,
ना पता है अपनी पहचान का।
खुले उड़ते हैं मिलों का सफर,
बिन सरहद घर आसमान का।
कोई रोक नहीं कहां पियें पानी,
भेदभाव नही जाति के नाम का।
हमने छुई हैं मंजिलें बहुत अमन,
शोर नही करते ऊँची उड़ान का।
Labels: hindi sahitya
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